सत्तर के दशक में जब दिल्ली और आसपास के क्षेत्र में किसानो की जमीनों के मुआवजे का मुद्दा हावी था , किसान नेता “चौधरी बिहारी सिंह बागी” किसानो के हक़ की आवाज को बुलंद करने के लिए प्रसिद्ध थे| चौधरी बिहारी सिंह बागी उस समय के जुझारू और अड़ियल किसान नेता थे जो हक़ के लिए किसी से भी भिड जाने और अपनी मांगे मनवाने के लिए जाने जाते थे | बिहारी सिंह बागी जिला गौतम बुध नगर के दादरी के पास स्थित रुब्बास गाँव के रहने वाले है !आज भले ही गुर्जर बिरादरी के ये किसान नेता उम्र के इस पड़ाव पर शांत बेठे हो और उतने क्रियाशील ना हो लेकिन कभी अपनी जिद के पक्के चौधरी बिहारी सिंह “बागी” यूपी के दबंग किसान और मजदूर नेता माने जाते थे ! अपने जीवन में कई जानलेवा हमले झेलने के बाद भी जीवित बचे चौधरी बिहारी सिंह बागी का जलवा पूरी यूपी में होता था !

पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी के साथ
छात्र जीवन से थे राजनीति में सक्रिय
पूरे दिल्ली एनसीआर में इनके आंदोलनों की गूँज होती ! छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय और किसानो मजदूरो की आवाज उठाने वाले चौधरी बिहारी सिंह बागी की पूर्व प्रधानमन्त्री शास्त्री जी से भी दोस्ती थी और उस समय के सभी बड़े नेता इनके आंदोलनों से वाकिफ थे ! आज भी जिला गौतम बुद्ध नगर में चौधरी बिहारी सिंह काफी प्रसिद्ध है और बुजुर्गो से इनके किस्से सुनने को मिल जाते है |

सरकार द्वारा दुग्ध उत्पादों के बनाने पर प्रतिबन्ध लगाए जाने के विरोध में प्रदर्शन करते हुए गिरफ्तारी के दौरान “चौधरी बिहारी सिंह बागी “
विधानसभा चुनाव की वो रोचक घटना
इनकी जिन्दगी का एक रोचक वाकया मशहूर है ! दरअसल हुआ यूं कि 1974 के दौर में जब चुनाव होने थे तब इंडियन नेशनल कांग्रेस २ हिस्सों में टूट गयी और प्रदेश के बड़े बड़े नेता कांग्रेस (ओ) और कांग्रेस (आई ) में बंट गये ! चौधरी बिहारी सिंह जो उस दौर के कद्दावर किसान नेता थे उन्हें दोनों ही तरफ से टिकट नहीं मिला और इंदिरा गाँधी से नाराज होकर उन्होंने निर्दलीय ही चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी !
दादरी विधानसभा से कांग्रेस (ओ) से चौधरी तेज सिंह और सोशलिस्ट पार्टी से विशम्भर दयाल शर्मा चुनाव लड़ रहे थे ! सबसे मजबूत उम्मीदवार कांग्रेस आई के रामचंद्र विकल को माना जा रहा था | पूर्व प्रधानमन्त्री इंदिरा गाँधी ने दादरी में एक बड़ी जनसभा करना तय किया| उस समय इंदिरा गाँधी की जनसभा होने का मतलब था कि लाखो की संख्या में जनसमुदाय का इकठ्ठा होना !
दूसरी तरफ निर्दलीय उमीदवार बिहारी सिंह भी अपने तरीके से अपना चुनाव प्रचार करने में लगे हुए थे चुनाव आयोग की तरफ से उन्हें चुनाव चिन्ह शेर आवंटित हुआ था और उन्होंने सेना की ३ डिस्पोजेबल जीप खरीदकर उन्हें ठीक कराकर जोर – शोर से चुनाव प्रचार में लगा दिया ! बिहारी सिंह ने अपने प्रचार के दौरान ऐलान किया कि इंदिरा गाँधी की जनसभा में वे शेर लाकर छोड़ देंगे ! कस्बे में इस बात को लेकर हडकंप मच गया क्योकि बिहारी सिंह की छवि अडियल नेता की थी , एक ऐसे नेता जो कहते थे वो करते थे !

एक सभा के दौरान गुर्जर बिहारी सिंह बागी (Gurjar Bihari singh Bagi)
इंदिरा गाँधी की जनसभा में ले आये असली शेर
चौधरी बिहारी सिंह बागी जिनका चुनाव चिन्ह शेर था उन्होंने गाजियाबाद में चल रहे एक सर्कस से इंदिरा गाँधी की सभा से एक दिन पहले 24 घंटे के लिए किराए पर 500 रूपये में शेर ले लिया ! उस समय के हिसाब से 500 रूपये काफी बड़ी रकम थी और अपनी बात को पूरा करने के लिए उन्होंने शेर को सभा में लाना तय किया ! शेर को एक पिंजरेनुमा बेलगाडी में गाज़ियाबाद से लाया गया और उसे पिंजरे में बंद कर दादरी किसी जानकार के यहाँ रखवा दिया लेकिन इसकी खबर किसी को नहीं हो पायी ! अगले दिन कोंग्रेस के प्रत्याशी के समर्थन में इंदिरा गाँधी की सभा होनी थी और बिहारी सिंह बागी ने भी उसी दिन दादरी में अपनी सभा करने का मन बना लिया था ! अगले दिन इंदिरा गाँधी की सभी शुरू हुई और उन्होंने भाषण देना शुरू किया !
जैसे ही बिहारी सिंह को सभा शुरू होने की सूचना मिली तो बिहारी सिंह असली शेर को लेकर सभास्थल के पास पहुँच गये ! भीड़ में पहले से ही बिहारी सिंह द्वारा शेर लाये जाने के एलान की चर्चा थी जैसे ही लोगो ने बिहारी सिंह को शेर के साथ आते देखा इंदिरा गाँधी की सभा में भगदड़ मच गयी ! लोगो को लगा कि कहीं शेर भीड़ में ना घुस जाए ! इंदिरा गाँधी जैसी कद्दावर राष्ट्रीय नेता का पंडाल उस सिंह के शेर के डर से खाली हो गया | जनसभा खाली हो चुकी थी|
तत्कालीन जिलाधिकारी एके दास और एसएसपी केएन मिश्रा भारी पुलिस फ़ोर्स के साथ वहां पहुंचे और चौधरी बिहारी सिंह से विनती की कि अपना शेर लेकर वहां से चले जाए | उन्होंने कहा कि उनका चुनाव चिन्ह शेर है इसलिए उन्हें अपने चुनाव चिन्ह को प्रदर्शित करने का अधिकार है | बिहारी सिंह ने अपना चुनाव चिन्ह शेर होने और 500 मीटर की दूरी पर सभा करने का अधिकार होने का दावा करते हुए वहां से 500 मीटर दूरी पर सभा करनी शुरू कर दी ! लेकिन तब तक इंदिरा गाँधी के पंडाल में उपस्थित जनसमुदाय वहां से हटकर बिहारी सिंह बागी की सभा में इकठ्ठा होना शुरू हो गया था ! बिहारी सिंह बागी की सभा में भारी भीड़ आ चुकी थी और इंदिरा गाँधी की सभा का कबाड़ा हो चुका था !
इस चुनाव में निर्दलीय प्रत्यासी चौधरी बिहारी सिंह बागी भले ही चुनाव हार गये लेकिन उनका शेर इंदिरा गाँधी के प्रत्याशी को भी ले डूबा | बाबू बनारसी दास की पार्टी के उमीदवार चौधरी तेज सिंह चुनाव जीत गये | कांग्रेस के प्रत्यासी को 12 हजार वोट मिल सके ! बिहारी सिंह बागी के टिकट काटने की कीमत पार्टी को चुकानी पड़ी |
S.K Nagar – 9312001265
(स्रोत – तत्कालीन न्यूज़ पेपर्स और चौधरी साहब के पुत्र श्री यतेन्द्र कसाना से बातचीत पर आधारित ! उनके जीवन परिचय पर एक बड़ी पोस्ट जल्दी ही आपके सामने प्रस्तुत करेगे )
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Veer Gujjar
Gurjars are open Lion. Don’t mess with them.
jai shri dev ji
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गुर्जर एकता जिंदाबाद
Ja gujjar
Jay gujjar